बलिया सीएमओ के फर्जी हस्ताक्षर बनाकर कूटरचित तरीके से 50 लाख से ऊपर गबन करने की कोशिश

बलिया सीएमओ के फर्जी हस्ताक्षर बनाकर कूटरचित तरीके से 50 लाख से ऊपर गबन करने की कोशिश



 कहते है चोर चोरी से जाय पर हेराफेरी से नही इस कहावत को चरितार्थ किये है बलिया जनपद का cmo कार्यालय का बाबुओ ने मिर्जापुर में भी एनएचएम (उस समय एनआरएचएम था ) के 75 लाख के चेक को फर्जी हस्ताक्षर से भुगतान कराने की कोशिश में मुन्ना बाबू को जेल हुई थी, यहां भी बैंक में 50 लाख से अधिक के चेक को सीएमओ के कूट रचित हस्ताक्षर से गबन करने के प्रयास में जेल जाना पड़ा है। इस कार्य मे मुन्ना बाबू को सहयोग देने वाले प्रभारी डैम पवन कुमार वर्मा , मनोज यादव बाबू और मुकेश भारद्वाज में से पवन कुमार वर्मा,मनोज यादव और निर्मल  पांडेय जहां हवालात की सैर कर रहे है।वही मुकेश भारद्वाज फरार हो गया है।बताया जा रहा है कि फर्जी बिल और सीएमओ के फर्जी हस्ताक्षर बनाकर 50 लाख से अधिक की धनराशि गबन करने की कोशिश करने के आरोप में एनएचएम के जिला लेखा प्रबंधक पवन कुमार वर्मा, स्वास्थ्य विभाग के दो लिपिक मुन्ना बाबू व मनोज यादव, एक फर्म  प्रोपराइटर को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया गया। इसमें तीन लाख रुपये फर्म के खाते में पीएफएमएस के जरिए भेज भी दिया गया है। इन सभी पर सुसंगत धाराओं के अंतर्गत कार्रवाई की जा रही है।


संयुक्त मजिस्ट्रेट विपिन कुमार जैन की जांच में सरकारी धन की यह लूट पकड़ में आई है। जांच में उन्होंने यह भी पाया है कि 22 लाख और इससे ऊपर तक का भुगतान सिर्फ एक कोटेशन के आधार पर कर दिया गया है। कोई टेंडर नहीं, मात्र एक पेज की बिल के सहारे 50 लाख तक का भुगतान कर दिया गया है। सीएमओ बलिया द्वारा एफआईआर दर्ज कराया गया है।



बलिया सीएमओ डॉ प्रीतम शुक्ला ने बताया कि ये दस्तखत जिस दिन का है, इस दिन वे जिले में थे ही नहीं, किसी शादी में गए थे। उसके बाद वहीं से हाईकोर्ट चले गए थे। यानि, सीएमओ को भी नहीं पता है कि ये दस्तखत कब के हैं। इसके अलावा बिना टेंडर के 50 लाख तक का भुगतान करने का प्रयास किया गया। यही नहीं, जो बिल लगाई गई है वह सत्यापित नहीं है। बिना सत्यापन किए ही तीन लाख रुपये का भुगतान कर भी दिया गया है। यही नही रुके ये लोग
मृत सीएमओ को भी नहीं बख्शा, उनकी भी फर्जी दस्तखत कर गबन किये लोग।



स्वास्थ्य विभाग में वैसे तो बहुत सारे तरीके से गबन किए जाते हैं, लेकिन इस बार इन बाबुओं ने एक नया ही कारनामा कर दिखाया है। पूर्व सीएमओ डॉ.एसपी राय, जिनकी मृत्यु इसी वर्ष 12 फरवरी को ही हो चुकी है, उनके भी फर्जी दस्तखत कर लाखों रुपये के गबन करने की कोशिश की। वह साइन उनकी मृत्यु होने के बाद की तिथि में हुई है। देखने से भी साफ लग रहा था कि वह दस्तखत भी कम्प्यूटर से कलर स्कैन करके कंप्यूटराइज्ड तरीके से किया गया है। इसकी पुष्टि मौके पर मौजूद लेखा अधिकारियों ने लिया। पूर्व सीएमओ डॉ. एसपी राय की फरवरी में मृत्यु होने के तीन महीने बाद मई, 2019 में भी उनके दस्तखत कर लाखों रुपये इधर-उधर कर डाले।