मजबूरी के आगे झुकी सोशल आडिट टीम या बिका दायित्व ? 

मजबूरी के आगे झुकी सोशल आडिट टीम या बिका दायित्व ? 


सन्त कबीर नगर { मेहदावल } प्रदेश सरकार की बहुउद्देशीय ग्राम स्तरीय सोशल आडिट बैठक हुआ भ्रष्टाचार के हवाले , ग्राम प्रधान व सोशल आडिट टीम की मची लूटने की होड़ । कोई एक दूसरे से कम नही है अपनी - अपनी सहभागिता तय कर लिए है कोई विकास के नाम लूट रहा है तो कोई जांच के नाम पर लूट रहा है । जिसका जीता जागता उदाहरण विकास खण्ड मेहदावल का ग्राम पंचायत तुलसीपुर है जहां पोखरे की खुदाई के नाम पर ग्राम प्रधान द्वारा लाखो रुपये मनरेगा जाब कार्ड मजदूरो के मजदूरी दिखाते हुए डकार लेने का मामला प्रकाश मे आया है पोखरे की स्थिति जस का तस है खत्म नही हुईं जलकुम्भी , कैसी हुईं खुदाई ? अपने आप मे जहां यह सवाल उठ रहा है वही ग्राम प्रधान सारे प्रश्नो पर विराम लगा रहा है । क्यो कि वह क्षेत्रीय विधायक व सांसद का चहेता है । इसी नक्शे कदम पर ग्राम पंचायत तूनिअहवा , ग्राम पंचायत टिकरी , ग्राम पंचायत  बरइपार मे सोशल आडिट टीम मदारियो द्वारा समय से पहले नौ बजे ही बैठक समाप्त कर दिया गया । गांव वालो के मुताबिक बैठक क्या होती है कैसी होती है उसमे क्या - क्या होता है यह हम लोग आज तक नही जान पाये । बताते चले कि ग्राम पंचायत बरइपार की स्थिति बड़ी भयावह रही जांच टीम दो बजे तक इधर - उधर भटकती मिली , नही मिले ग्राम प्रधान व रोजगार सेवक । बैठक के एक दिन पहले स्थलीय सत्यापन के दौरान रोजगार सेवक के द्वारा जांच टीम के सदस्य को बताया गया कि मौके पर ग्राम पंचायत के पास कोई अभिलेख मौजूद नही है और न होने की सम्भावना है क्यो कि ग्राम प्रधान प्रतिनिधि पोस्ट आफिस मे बतौर कर्मचारी के पद पर तैनात है । इतना ही नही ग्रामीणो ने बताया कि ग्राम पंचायत अधिकारी सारे अभिलेख अपने पास रखते तो है पर कभी लाते नही है वही स्वच्छता का जिक्र करते हुए ग्रामीणो ने यह भी बताया कि आधा गांव ही शौचालय का लाभ पाया है शेष हम लोगो को मिलने की कोई गुंजाइश नजर नही आ रही है । ऐसे मे यह सवाल उठता है कि प्रदेश सरकार के मंशा के अनुरूप पारदर्शिता , सहभागिता एवं जवाबदेही बतौर कैसे होगी जांच ? कैसे होगी विकास का क्रियान्वयन ? कैसे आयेगी आम जनमानस मे जागरूकता ?